13.9.18

Kash tum mere pas hoten....


तुम्हारे मेरे पास होना बहुत मुश्किल जान पड़ता है


काश ! तुम मेरे पास होते !!
चूँकि ,
तुम मेरे पास नही हो ,
इसलिए मैं तुम्हे रोज लिखना चाहती हूँ -
अपने दिल के हालत , अपने हर ज़ज्बात .....
...................................
..............................................!!!
हर रात जब मेरी आँखों में रतजगे का सैलाब उमड़ता है -
उन लहरों में मुझे डूबते-उतराते सिर्फ तुम्हारा ही चेहरा दिखता है !
क्यों मैं तुम्हारे अभिमान को नही समझना चाहती हूँ ,
तुम न भी बुलाओ फिर भी क्यों तुम्हारे करीब आना चाहती हूँ ...
आखिर क्यों ??
आखिर क्यों तुम्हारी उत्तापहीन आँखे मेरे प्यार से नम नही होती ?
हालांकि मैं तुम्हे कुछ ही दिनों से जानती हूँ ,
लेकिन ऐसा क्यू लगता की जैसे मैं तुम्हे हजारो वर्षो से पहचानती हूँ ?

हम कब और कैसे मिले ,
कुछ ख़ास याद नही ........
बस इतना ही , की जैसे किसी जलती दुपहरिया में 
मेरी हथेलियों पे छाँव लिख दिया हो !
उस वाकहीन नि:शब्दता में मैं सिर्फ तुम्हे देखती ही रह गई थी !
जैसे की हम अनंत काल से एक-दूजे की तलाश में भटक रहे हो ..
और एक दिन हम मिल गए और एक-दूजे को पहचान लिया ....
न न ... किसी भूमिका की जरुरत ही ना पड़ी !!
हमने अपने अंतस में रखी तस्वीरों से एक-दूजे को मिलाकर देखा --
हाँ ..हाँ .. यह वही तो है ,
अपने निर्जन सपनो से जिसे रचा है ...
जिसे हमने अपने मन के अन्दर रचा-गढ़ा है ....!
इसलिए बिना कुछ कहे -सुने नि:शब्द मुद्रा में,
हमने एक दूजे की हथेली पर लिख दिया अपना नाम !!!!

Princess

(In.. Dream...) Heeyy  Woh dekho Meri princess jisko Dekhne ke liye meri ankhein tarsa gyi thii...Main jata hoon uske pas... Dhere dhere h k...